Pyaar itnaa naa kar..

Pyar Itna Na Kar - Shreya Ghoshal Powered by SongsPK.co

Monday, 25 March 2013

शायद छुपा हो इस मैं कहें नाम आपका....दुनियाँ से चुपके मेरी ग़ज़ल गुनगुनाईए






वो दिल नवाज़ है नज़र शनाज़ नही
मेरा इलाज मेरे चरागर क पास नही

तारप रहे हैं ज़बान पर कई सवाल मगर
मेरे लिए कोई शयन-ए-इल्तमस नही

तेरे उजलों मैं भी दिल कांप कांप उठता है
मेरे मिज़ाज को असुदगी भी रस नही

कभी कभी जो तेरे क़ुर्ब मैं गुज़रे थे
अब उन दिनों का तसवउर भी मेरे पास नही

गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस तो है ज़िंदगी की आस नही

मुझे ये दर है क तेरी आरज़ू ना मिट जाए
बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नही
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशां क्यूं हो
उगलियां उठेंगी सुखे हुए बालों की तरफ’
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ’
चूड़ियों पर भी कई तन्ज़ किये जायेंगे
कांपते हाथों पे भी फि’करे कसे जायेंगे
लोग ज़ालिम हैं हर इक बात का ताना देंगे
बातों बातों मे मेरा ज़िक्र भी ले आयेंगे
उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
वर्ना चेहरे के तासुर से समझ जायेंगे
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात न करना उनसे
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
‍-कफ़ील आज़र
[If the word gets out, it will get to far off places,
People will ask the reason for your sadness,
They will also ask why are you so perturbed,
Fingers will be pointed towards your dry hair,
They will also have a look at past years,
They will also talk in satirical way about your bangles,
They will also make fun of your trembling hands,
People are mean, they will try to make a point about everything,
They will deliberately bring my name during conversations,
Don't take their words to your heart,
Otherwise they will understand from your facial expressions,
Whatever happens, don't ask them any questions,
Don't talk to them about me,
If the word gets out, it will get to far off places !]







गुलो मे राग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आ ओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

क़ाफास उदास है यारो सबा से कुच्छ तो कहो
कही तो बाहर-ए-खुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिजरां
हमारे अश्क तेरी आकबत संवार चले

मकाम 'फ़ैज़' कोई राह मे जाँचा ही नही
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले

कभी तो सुबह तेरे कुज-ए-लब से हो आगाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्काबार चले

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएगे गम-गुसार चले

हुज़ूर-ए-यार हूइ दफ़्तर-ए-जुनून की तलब
गिरह मे ले के गिरेबान का तार तार चले
____________________
                                           


शायर : फ़िज़ अली फ़िज़
फनकार : मेहँदी हसन




दिल में एक ल़हेर सी उठी हैं अभी
कोई ताज़ा हवा चली हैं अभी

शोर बरपा है खाना ए दिल में
कोई दीवार सी गिरी हैं अभी

कुच्छ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोठ भी नयी हैं अभी

भारी दुनियाँ में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी हैं अभी

तू शरीक-ए-सुख्हन नहीं हैं तो क्या
हम सुख्हन तेरी खामोशी हैं अभी

याद के बेनिशान जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही हैं अभी

शहेर के बेचराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझ को ढ्नडती हैं अभी

सो गये लोग उस हवेली के
एक खिडकी मगर खुली है अभी

तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर मैं रात जागती है अभी

वक़्त अच्छा भीइ आएगा 'नसीर'
गम ना कर ज़िंदगीइ पा.डी है अभी
______________

शायर : नसीर काज़मी
फनकार/मौसीकार : गुलाम अली


$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 
अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारों
मैं अपने सायँ से कल रात दर गया यारो

हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़कं मेरे दिल का भर गया यारो

भटक रही थी जो कश्ती वो गाक़र-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतार गया यारो

वो कौन था वो कहा का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शाकस मार गया यारो
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
ज़िंदगी में जब तुम्हारे गम नही थे
इतने तन्हा थे की हम भी हम नही थे

वक़्त पर जो लोग काम आए हैं अक्सर
अजनबी थे, वो मेरे हमदम नही थे

बेसबब था तेरा मिलना रहगुज़ार में
हादसे हर मोड़ पर कुछ कम नही थे

हमने ख्वाबो में खुदा बनकर भी देखा
आप थे, बाहों में दो आलम नही थे

सामने दीवार थी खुद्दारियों की
वरना रास्ते प्यार के पूराकम नही थे
____________