खोने की दहशत भी गई
पाने की चाहत भी ना रही...
इन्तेज़ार की राह भी
अब नाउम्मीद हो चली...
एक भोली सी मोह्बत थी
मेरी रूह की
मेरे बिना ही कब्र में दफ़न हो गयी....
मोहब्बत के कफ़न मे
जिन्दा लाश की तरह
दफ़न होना ही यक़ीनन
सच्ची मोह्बत का इख्तेदाम है....
©दीपिका[D€€PIKA]